· What is Astrology | ज्योतिष क्या है|
ज्योतिष क्या है – what is astrology – जब भी हम आकाश को देखते हैं, दिमाग में
कई सवाल उठते है कि ये आकाश में टिमटिमाते तारे ग्रह व नक्षत्र क्या है?
क्यों कुछ तारे दिन में छुप जाते हैं और रात को फिर दिखाई पड़ते हैं?
चन्द्रमा दिन में कहाँ चला जाता है? हर दिन पूर्व से ही सूर्योदय क्यों होता
है? क्या इन तारे ग्रह व नक्षत्र का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है इन्हीं
प्रश्नों को जानने के लिय मनुष्य ने आकाश के ग्रह-तारों की चाल को जांचना
परखना शुरू किया। धीरे-धीरे ग्रहों-नक्षत्रों की चाल मानव को समझ में
आने लगी। वह अपने आस-पास होने वाली रोजमर्रा की घटनाओं को ग्रहों-
नक्षत्रों की गतिविधियों से जोड़ने लगा और इस तरह एक शास्त्र ही बन गया
जिसे आज हम ज्योतिष कहते हैं।
ज्योतिष शास्त्र की प्रामाणिक परिभाषा कई वेदों में देखी जा सकती है।
ऐसा कहा जाता है कि ज्योतिष का उदय भारत में हुआ, क्योंकि भारतीय
ज्योतिष की पृष्ठभूमि 8000 वर्ष से अधिक पुरानी मानी जाती है। रामायण
और महाभारत में भी कई प्रसंग आते है जहाँ ग्रह नक्षत्रों का जिक्र हुआ है
ग्रह नक्षत्र, धूमकेतु और समय का ज्ञान कराने वाले विज्ञान को
ज्योतिष विज्ञान कहते हैं।
एक तरह से यह सही मार्ग बतलाने वाला शास्त्र है। इस
शास्त्र से सांसारिक ज्ञान जीने मरने का रहस्य और जीवन के सुख-दुःख के
संबंध में ज्योति दिखाई दे वही ज्योतिष शास्त्र है। इस अर्थ में वह खगोल से
ज्यादा अध्यात्म और दर्शनशास्त्र के करीब माना जाता है। इस विज्ञान को
सही दिशा में विकसित किए जाने की आवश्यकता है। ज्योतिष सिर्फ इतनी
ही बात नहीं है कि ग्रह-नक्षत्र क्या कहते हैं? उनकी गणना क्या कहती है?
यह तो सिर्फ ज्योतिष का एक आयाम है। फिर भविष्य को जानने के कई
और आयाम भी हैं। मनुष्य के हाथ पर माथे पर पैर पर बनी हुई रेखाएं हैं,
मनुष्य के शरीर में छिपे हुए सात चक्र हैं। उन सब चक्रों का अलग-अलग
अनुभूति है। उन सब चक्रों की हर पल अलग-अलग गति होती है। एक
फ्रीक्वेंसी होती है। उनकी जांच ज्योतिष का एक आयाम व अध्ययन है।
चन्द्रमा के कारण धरती के समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है वैसे ही ये ही
चन्द्रमा हमारे शरीर में स्थित जल को भी प्रभावित करता है। जल के
प्रभावित होने से व्यक्ति का मन भी प्रभावित होता है। इसी तरह हर ग्रह या
नक्षत्र का प्रभाव धरती पर पड़ता है, लेकिन उसका असर अलग-अलग क्षेत्र
की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होता है। ठीक उसी तरह प्रत्येक
व्यक्ति पर उन ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव अलग-अलग होता है। उदाहरण के
लिए जैसे यदि कहीं पर तेज़ तूफ़ान आता है, तो उस तूफान के चलते कुछ
लोग बीमार पड़ जाते हैं, कुछ वृक्ष उखड़ जाते हैं और कुछ मकान की छतें
उड़ जाती हैं। लेकिन जो व्यक्ति मजबूत है, वह बीमार नहीं पड़ेगा, जो वृक्ष
लचीला है, वह कभी उखड़ेगा नहीं और जिस मकान की छत मजबूत है,
वह उड़ेगी नहीं। अत: जिस तरह तूफान का असर प्रत्येक व्यक्ति पर अलग
अलग होता है, उसी तरह ग्रह-नक्षत्रों का असर भी माना जाता है।
फलित ज्योतिष होरा शास्त्र का वो भाग हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर,
ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का विचार किया जाता है।
ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है।
ज्योतिष शास्त्र के द्वारा मनुष्य आकाशीय-चमत्कारों से परिचित होता है।
फलतः वह जनसाधारण को सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्र-सूर्य ग्रहण, ग्रहों की
स्थिति, ग्रहों की युति, ग्रह युद्ध, ऋतु परिवर्तन, अयन एवं मौसम के बारे में
सही-सही व महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। इसलिए ज्योतिष विद्या का
बड़ा महत्व है। प्राचीनकाल में उचित जगह पर घर, आश्रम, मंदिर, मठ या
गुरुकुल बनाने के लिए ज्योतिष विद्या की सहायता ली जाती थी, जैसे मिस्र
के पिरामिड, महाकाल का मंदिर, अजंता-एलोरा का कैलाश मंदिर,
ज्योतिर्लिंग आदि।
ज्योतिष के तीन स्कंध हैं ये तीन प्रमुख भाग हैं- गणित (होरा), संहिता और
फलित। कुछ लोग सिद्धांत, संहिता और होरा भी कहते हैं । सिद्धांत भाग में
आकाश में स्थित ग्रहों कि गणना गणित द्वारा की जाती है जिसे खगोल
शास्त्र कहते हैं संहिता भाग में पृथ्वी पर घटित होने वाली घटनाये जैसे
भूकंप ज्वालामुखी तूफ़ान आंधी वर्षा संक्रामक रोग नैसर्गिक विपदाएं
सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण, ऋतुएं मानव निर्मित संकट जैसे युद्ध विद्रोह प्रजा का
सुख दुःख देश की आर्थिक सामजिक धार्मिक राजनैतिक स्थिति और दुसरे
देशों से मित्रता व शत्रुता संबंधों का विचार किया जाता है होरा भाग में
सामान्यता मनुष्य के व्यक्तिगत जीवन के बारे में विचार किया जाता है ये
बहुत ही प्रमुख व लोकप्रिय भाग है जन्म कुंडली के आधार पर मनुष्य के
जीवन में घटने वाली घटनाओं का विचार किया जाता है इसे फलित
ज्योतिष कहा जाता है जिसका संबंध मनुष्य व जीवों के कर्मफल से
जोड़ा गया है।
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